टुकड़ा टुकड़ा जिंदगी

Tuesday, June 15, 2010

मुख्य धारा कि मीडिया और उसका राष्ट्रीय चरित्र

पिचले दो दिनों के अखबारों / टीवी  समाचारों में एक खबर देखने को मिली कि अपने देश का एक हिस्सा लगभग कट सा गया है .कारण और निवारण कि चर्चा करने के बजाय जिस बिंदु पर मैं रुक गया वह ये था कि संचार क्रांति के इस युग में भी हमारे देश में जहाँ खबरिया चैनल  अपने आप को नेशनल और रीजनल   के दायरे में बाँट कर काम करते हैं वहां एक रास्ट्रीय सरोकारों से जुडी खबर ६० दिन बाद सामने आती है, वह भी कितनी बड़ी हम सबको मालूम है . 
मित्रों , मैं एक ऐसी समस्या का जिक्र कर रहा हूँ जो हम मीडिया कर्म से जुड़े लोगों को सोचना है.  उपरोक्त खबर के बारे में अख़बारों में तो थोडा बहुत दिखा भी, लेकिन तथा कथित रास्ट्रीय समाचार चैनलों पर एक स्ट्रिप मात्र . एक गुरूजी के आश्रम में कुत्ते पर चलाई गई गोली,  जिससे किसी को कोई खास नुकसान नहीं होता है , ५ दिन तक समाचारों की ब्रेकिंग स्टोरी होती है (क्षमा करें मेरा मकसद किसी धर्माचार्य का अपमान करना नहीं है , मैं तो ख़बरों की समीक्षा कर रहा हूँ ),  लेकिन समाज विरोधी, या फिर मानवता विरोधी ताकतों द्वारा ६० दिनों तक एक प्रदेश के , वहां के लोगों के और कानून व्यवस्था के बंधक बना कर रखने  के बावजूद कोई खबर नहीं.
किस मुंह से हम अपने को मीडिया कर्मी , .................या फिर ......रास्ट्रीय मीडिया वाले कहते हैं ?
क्या नार्थ ईस्ट के इलाके भारत दैट इज इंडिया का हिस्सा नहीं हैं ? ................
तो फिर उनकी समस्याएँ,  जरूरतें और मसाला न्यूज़ ही सही (जैसा आप नोर्थ इंडिया से लेते हैं ) मुख्य धारा की मीडिया से गायब क्यों है ?
अभी सप्ताहांत में मेरी नज़र एक फीचर पर पड़ी थी , जिसमें दिल्ली विश्व विद्यालय में पड़ने वाली छात्रा ने बताया था की उसके टीचर भी उनको चिंकी कह कर पुकारते हैं . लोगों को लगता ही नहीं कि हम भी भारत के ही नागरिक हैं .
कारण जानते हैं क्यों ?.....................

क्यों कि  हमने कभी यह मीडिया में पाया ही नहीं कि मराठी, पंजाबी , बिहारी , बंगाली के आलावा नार्थ ईस्ट में कौन से लोग हैं और उनकी क्या पहचान है . कभी -  कभी  अगर दिखाया भी तो उनकी कला को एक सहेजा हुआ सत्य बनाकर , एक अलग दुनिया के रूप में,  न कि समाज कि विविधता के साथ एकात्मक भारत के रूप में .

मित्रों सोचना होगा,  मजबूरन सोचना होगा,  नहीं तो वो दिन, दूर नहीं कि भारत कि भावी पीढ़ी का पूरा लगाव मीडिया द्वारा दिखाए गए लघुत्तर भारत के साथ हो.
 हमें अपना संपूर्ण भारत खुद बचना है और भारतवासियों को एक जुट रखना है

जय हिंद - जय भारत 

सुधीर के रिन्टन


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