टुकड़ा टुकड़ा जिंदगी

Sunday, November 22, 2009

हम क्यों लिख रहे हैं ?

मित्रो
इधर कई दिनों से ब्लॉग की दुनिया देख कर बड़ा दुःख हो रहा है । कभी हम ब्लॉग इस लिए पड़ते थे की इसपर हकीकत दिखेगी पर आज व्यक्तिगत आग्रह दुराग्रह का अड्डा बनता जा रहा है हमारा ब्लॉग वर्ल्ड । अब वे बेलौस कमेन्ट नहीं । वे सच और बैलेंस विचार नहीं । वो व्यवस्था और जरूरत का ख्याल नही बल्कि आज दिखता है अपने वैचारिक विरोध के खिलाफ वमन और निचा दिखाने की होड़ । आखिर लेखन की दुनिया की क्रांति क्या दिशाहीन होकर रह जाएगी या फ़िर से संभाल सकेगी अपने आप को । आप लोग इस पैर सोचें और आगे लिखें ।