टुकड़ा टुकड़ा जिंदगी

Tuesday, November 11, 2008

नेता जी जरा संभल कर

क्या आप भी वैसी ही आतंकवादी घटना में शामिल नही हो रहे हैं जैसा राज ठाकरे ने किया ?
जब भी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त होगी कहीं न कहीं उसका असर भी दिखाई परेगा ही । अगर आप को लगता है की कोई राज ठाकरे का सर आपको लाकर दे तो उसे आप एक करोर रूपये देंगे तो क्या आप को भी हत्यारा न मन लिया जाय
यह वक्तब्य मैनें चाय की दुकान पर खर्डे उन ग्रामीणों से सुनी जो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से इलाके में चाय पिने के लिये खरे थे तथा इन्तेजार कर रहे थे किसी ऐसे व्यक्ति का जो उन्हें कम पर ले जाएगा । अफसोस तो इस बात का है की हमारी अवाम इस तेरह की हरकतों को समझती भी है और इनसे प्रभावित भी होती है। हम बातें तो कर लेते हैं लेकिन जब इन नेताओं को नकारने का वक़्त आता है तो उन्हें स्वीकार भी कर लेते हैं। अगर सिर्फ़ एकबार जनता नेताओं की उस पौध को नकार दे जिन्होंने क्चेत्रवाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकता तथा दादागिरी, गुंडागर्दी आदि का सहारा लिया हो ।
आज आपको आगे आने की जरूरत है । हमने तो आज से शुरू किया कल आपका इंतज़ार करूंगा ।
सधन्यवाद ,
सुधीर के० रिन्तेन

Saturday, November 1, 2008

आखिर राज ठाकरे ने सुर बदला

राज ठाकरे ने अपनी हालिया प्रेस कॉन्फरन्स में जिस तरह से वक्तव्य दिया एक बात तो स्पस्ट हो गई की राज की राजनीती कहीं और से गवर्न हो रही थी। एक बार तो ऐसा भी लग रहा था की वास्तव में राज ठाकरे को सारा सुप्पोर्ट कांग्रैस द्वारा ही दिया जा रहा है।
अगर इस पुरे घटनाक्रम को गौर से देखें तो तीन बातें प्रमुखता से निकल कर आती हैं ।
  1. केन्द्र सरकार महारास्त्र में अपनी पार्टी की सरकार होने के बावजूद सिर्फ निंदा ही क्यों कर पा रही थी ।
  2. केन्द्र द्वारा कार्ड कदम उठाने की घोसदा और राज की प्रेस वार्ता का एकसाथ होना क्या दर्शाता है।
  3. क्या किसी दूसरे दल की सरकार होने पर तथा अवाम केसंवैधानिक आधिकारों के दमन के समय ( जैसा की महारास्त्र में हो रहा था ) क्या ला एंड आर्डर के नाम पर धारा ३५६ का प्रयोग केन्द्र सरकार नहीं करती ।

जाहिर है समूचा घटना क्रम जो दिखता है वह निहित इस बात में है की कांग्रेस को अपने विरोधी दल शिव सेना और बीजेपी से टक्कर लेने के लिए आपनी मजबूती के साथ साथ उनका कमजोर होना ज्यादा बेहतर लगा । इसके लिए उसे राज ठाकरे जैसा मुर्गा सामने दिखा जिसे सूली पर चर्दय जा सकता था। राज को भी लगा की मराठी मानुष के नांम पर वे आपनी राजनितिक जमीन तलाश सकते हैं। कांग्रेस के लिए ये दोनों हाथ में लड्डू जैसा था । शिव सेना कमजोर होगी और राज मजबूत ऐसे में कांग्रेस को आपना फायदा दिखाना लाजिमी था । इस चलका विरोध बालठाकरे जैसा मर्थिमानुश्वादी अतिवादी व्यक्ति भी नही कर सकता था क्योंकि इससे उसे राजनितिक नुकसान उठाना परता।

जब कांग्रेस को ये तस्सली हो गयी की अब इसकी कोई जरूरत नही रही तो उसने रिमोट से राज का चॅनल बदल दिया और प्रेस कॉन्फरन्स के मार्फत बयां आया की मेरी बात को समझा नहीं गया ।

वह रे नेता और वह रे राजनीती ।

अवाम चाहे मरे या जिए हमारा वोट हमारी कुर्सी सलामत रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार ये नेता बैठे हैं।

Thursday, October 23, 2008

राज ठाकरेआख़िर आप कैसा भारत चाहते हैं .

प्रिय श्री राज ठाकरे जी
जय महारास्ट्र
आपको खुले पत्र के मध्यम से जय हिंद लिखने वाली कलम भी जय महारास्ट्र लिख रही है। शायद आपके डर से या फिर आपकी अदा से प्रभावित होकर । खैर आप जो भी समझें लेकिन ये सच है की महारास्ट्र के प्रति भी मेरे दिल में प्यार है जीतन। आपके दिल में। मैं तो भारत को इस नजरिये से देखता रहा कि यह एक ऐसा रास्ट्र है जिसका एक अंग महारास्ट्र है लेकिन आपके हालिया कृत्यों ने तो लोगों कि सोच ही बदल दी । अबी ऐसा लगने लगा है कि क्या महारास्ट्र के लोग इतनी क्षुद्र मानसिकता के हो गए हैं। क्या हम दुनिया को गर्व से बता पाएंगे कि हम उस रास्ट्र के वासी हैं जहाँ एक रास्ट्र में महारास्ट्र भी है।
कुछ तो करो भाई , कुछ तो सोचो । हम देश जाती बोली भाषा से परे एक रास्ट्र के वासी भी हैं। हम सबसे बर्ड लोकतंत्र के वासी भी हैं । जहाँ पुरी दुनिया हमारी अनेकता में एकता को उदहारण के रूप में स्वीकार करती है वन्ही ये क्या कर रहे हैं आप? क्या लोगों के संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन करके आप अपने आप को दोसी नही समझते। क्या आप भारत के बजय महारास्ट्र कि जय बोलना फिर भी पसंद करेंगे । यदि हाँ तो शायद आप जय हिंद सुनाने के लायक ही नहीं ।
मैं फिर भी आपको जय हिंद ही कह सकता हूँ क्योंकि मैं किसी भी परिस्थिति में भारत के प्रदेशों को भारत का अंग ही समझता हूँ । जय हिंद में जय महारस्त्र भी शामिल है तो जय बिहार भी ।
janta hun आप को जय हिंद बुरा लग रहा होगा तो लगे । मैं तो जय हिंद ही kahoonga ।
जय हिंद
sudhir के rinten